ग्राउंड रिपोर्ट / बलमुचू की इंट्री से भाजपा, झामुमाे और आजसू में त्रिकाेणीय संघर्ष

राजेश कुमार सिंह । घाटशिला . घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान में राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है। तस्वीर भी धीरे-धीरे साफ हाेने लगी है। यहां भाजपा, झामुमो और आजसू के बीच त्रिकोणीय मुकाबला तय है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अाैर घाटशिला से लगातार तीन बार विधायक रहे प्रदीप कुमार बलमुचू के बगावत कर आजसू के टिकट पर मैदान में उतरने से मुकाबला बेहद रोचक हो गया है। भाजपा ने सीटिंग विधायक लक्ष्मण टुडू का टिकट काटकर स्थानीय चेहरा लखन मार्डी काे उतारा है। उन्हें भितरघात का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि स्थानीय हाेने का लाभ उन्हें जरूर मिलेगा। झामुमाे से 2009 में जीते पार्टी के जिला अध्यक्ष रामदास सोरेन लगातार चाैथी बार मैदान में हैं।


संथाल आदिवासी बहुल इलाका होने के कारण उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। वे अपने गांव घोड़ाबांदा के ग्राम प्रधान भी हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी काे घाटशिला क्षेत्र से करीब 73 हजार वोट दिलाकर उन्होंने अपनी मजबूती साबित कर दी थी। हालांकि भाजपा को लोकसभा चुनाव में यहां से करीब 86 हजार मत मिले थे। 



जनजातियाें के लिए सुरक्षित इस सीट पर बीते 30 सालाें से हार-जीत का फैसला गैर आदिवासी वोटर करते आए हैं। ये हर चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के पक्ष में वोट डालते हैं। जिसके पक्ष में इनके वोट ज्यादा गिरते हैं, जीत का सेहरा उसी के माथे बंधता रहा है। दाेनाें में वाेट बराबर बंटा ताे झामुमो लाभ में रहेगा। इसका उदाहरण 2009 का चुनाव है, जिसमें झामुमो के रामदास सोरेन ने पहली दफा जीत हासिल की थी। क्योंकि उस चुनाव में तीन बार से लगातार विधायक रहे कांग्रेस के प्रदीप कुमार बलमुचू के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी था अाैर भाजपा प्रत्याशी सूर्य सिंह बेसरा वोटरों को ज्यादा पसंद नहीं आए। इस बार इस बार गठबंधन के नाते कांग्रेस का झमुमाे काे समर्थन मिलेगा। 


बड़ा सवाल... कब बनेगा धालभूमगढ़ का एयरपोर्ट


4 प्रखंडों के सबसे बड़े मुद्दे



1 एयरपोर्ट : धालभूमगढ़ एयरपाेर्ट फिर से बनाने की तैयारी है। फंड भी मिल चुका है। भूमिपूजन भी हो गया, लेकिन निर्माण शुरू नहीं हाे सका।


2  खदान : हिंदुस्तान कॉपर व यूसील माइनिंग करती है। 2003-04 के बाद आर्थिक मंदी के कारण एचसीएल की सभी 6 खदानें बंद हो गईं थीं। 


3 जिला बनाना : यह मुद्दा हर चुनाव में उठता है। प्रत्याशियों के घोषणापत्र में यह प्रमुख रूप से रहता है। लेकिन चुनाव बाद मुद्दा गौण हो जाता है।


4 कृषि : सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय परियोजना करीब 40 वर्षों से अधिक समय से आकार ले रही है। लेकिन अब तक खेतों को पानी नहीं मिला है।


तीन चुनावों का सक्सेस रेट  
 



वाेटराें का गुस्सा : जिला बनाने का मुद्दा चुनाव बाद गौण हो जाता है...


 घाटशिला को जिला बनाने का मुद्दा हर चुनाव में उठता है, लेकिन जीतने के बाद प्रत्याशी भूल जाते हैं। हारनेवाले धरना-प्रदर्शन के माध्यम से इसे भुनाने में लग जाते हैं। - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल गुप्ता, गोपालपुर।


 क्षेत्र में उच्च शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है। एकमात्र घाटशिला काॅलेज में 16 हजार विद्यार्थियाें का भविष्य महज 12 शिक्षकाें के जिम्मे है। यहां इंटर से पीजी तक की पढ़ाई होती है। - संजय कुमार, लालडीह।


 नेता सिर्फ चुनावी मौसम में दिखते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। समस्या बताने पर आश्वासन मिलता है, पर यह समस्या सालों से बरकरार है। अब तक कुछ नहीं हुआ। - प्रिया कुमारी, छात्रा