एजुकेशन डेस्क (सिद्धार्थ सराठे, भोपाल) . 22 दिसंबर को देश भर में नेशनल मैथेमैटिक्स डे के रूप में मनाया जाएगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा 2018 में आयोजित 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के आंकड़ों के अनुसार देशभर के कुल 11,62,645 स्टूडेंट्स में से 5,52,131 ने मैथेमैटिक्स को विषय के रूप में चुना था जबकि बायोलॉजी लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 2,50,189 थी। वहीं ग्लोबल एजुकेशन सेंसस 2018 के अनुसार मैथेमैटिक्स दुनियाभर में कॉमन सब्जेक्ट के रूप में सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला विषय है। इसे 88 प्रतिशत स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। हालांकि कुछ स्टूडेंट्स मानते हैं कि मैथेमैटिक्स में कॅरिअर के सीमित विकल्प हैं। यही वजह है कि मैथ्स बैकग्राउंड के ज्यादातर स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग या गवर्नमेंट जॉब को प्राथमिकता देते हैं। जो स्टूडेंट्स इनमें रुचि नहीं रखते वे बीएससी में एडमिशन ले लेते हैं पर यूजी या पीजी के बाद कॅरिअर की शुरुआत उनके लिए बड़ी चुनौती बन जाती है।
चेन्नई मैथेमैटिकल इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर राजीव करंदिकर की मानें तो मैथेमैटिक्स से डेवलप होने वाली स्किल्स से स्टूडेंट्स के लिए ढेरों अवसर हैं। लेकिन इसके लिए स्टूडेंट्स को मैथ्स के साथ नई स्किल्स को भी डेवलप करना जरूरी है। साथ ही अन्य सब्जेक्ट्स का बेसिक नॉलेज भी बढ़ाना होगा। जानिए मैथ्स की पढ़ाई के बाद उन सात ऑफबीट फील्ड्स के बारे में जहां से आप कॅरिअर की शुरुआत कर सकते हैं। साथ ही मैथ्स के साथ एड किए जाने वाले उन विषयों के बारे में जो इन फील्ड्स में आपके काम आएंगे।
- क्रिप्टोग्राफी : क्रिप्टोग्राफी का उपयोग डेटा को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। इसमें डेटा को सिम्पल टेक्स्ट से ऐसे टेक्स्ट में बदला जाता है जिसे कोई अन्य व्यक्ति न तो समझ सकता है न ही उसका इस्तेमाल कर सकता है। हैकिंग और साइबर क्राइम बढ़ने के चलते डेटा सिक्योरिटी से जुड़े एक्सपर्ट्स की मांग बढ़ रही है। यही वजह है कि क्रिप्टोग्राफी में जॉब के अवसर पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं। इसके लिए मैथेमैटिक्स के साथ कम्प्यूटर एप्लीकेशंस या आईटी का बेसिक नॉलेज होना जरूरी है। इससे प्राइवेट सेक्टर में भी जॉब के अवसर बढ़ेंगे। आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली, इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टीट्यूट कोलकाता से क्रिप्टोग्राफी के विभिन्न कोर्स किए जा सकते हैं।
- एक्चुअरी मैथमेटिक्स : एक्चुअरी मैथमैटिक्स का ऐसा स्पेशलाइजेशन है जिसके जरिए इंश्योरेंस, फायनेंस और म्यूचुअल फंड सेक्टर में जॉब के अवसर मिलते हैं। एक्चुअरिस्ट्स अपने मैथेमैटिकल और स्टेटिस्टिकल विशेषज्ञता का उपयोग कर कंपनी के रिस्क का आकलन करते हैं। बिजनेस और क्लाइंट्स के लिए फायनेंशियल रिस्क को कम करने की प्लानिंग करना भी एक्चुअरिस्ट्स का ही काम होता है। यहां कॅरिअर की शुरुआत करने के लिए एक्चुरियल साइंस से बीएससी कर सकते हैं। नॉर्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी जलगांव, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी जैसे इंस्टीट्यूट्स से इसकी पढ़ाई की जा सकती है।
- डेटा एनालिस्ट : टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ने के साथ ही डेटा एनालिस्ट्स के रूप में कॅरिअर के अवसर भी लगातार बढ़ रहे हैं । स्टार्टअप्स और मल्टीनेशनल कंपनियों में इन स्पेशलिस्ट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है जो बिजनेस से संबंधित डेटा को एकत्रित करने के बाद उसका एनालिसिस कर सकें। कंपनी द्वारा लिए जाने वाले फैसलों में डेटा का उपयोग करने का काम भी डेटा एनालिस्ट का ही होता है। एनालिटिक्स इंडिया के सर्वे के अनुसार 2017 से 2018 के बीच में डेटा साइंस और डेटा एनालिस्ट्स की फील्ड में नौकरियों के अवसरों में 45 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। बीए या बीटेक करने के बाद डेटा एनालिस्ट के रूप में कॅरिअर की शुरुआत की जा सकती है। डेटा साइंस अथवा डेटा एनालिस्ट के लिए अलग से डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं। आईआईएम कोलकाता, चेन्नई मैथेमैटिकल इस्टीट्यूट में अलग से डेटा साइंस के कोर्स कराए जाते हैं।
- मार्केट रिसर्चर : किसी कंपनी के प्रॉडक्ट के प्रमोशन, लॉन्चिंग आदि में मार्केट रिसर्चर का बड़ा रोल होता है। मार्केटिंग रिसर्च में कराए गए सर्वे और अन्य सोर्सेज से मिले डेटा का स्टेटिस्टिकल एनालिसिस मार्केट रिसर्चर करता है। इसी रिपोर्ट के आधार पर कंपनी को ग्राहकों के फीडबैक की जानकारी मिलती है। 10+2 के बाद मार्केट रिसर्च में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं। इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एक्सीलेंस, सिम्बॉयसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पुणे, शारदा यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा जैसे इंस्टीट्यूट्स से मार्केटिंग रिसर्च का कोर्स किया जा सकता है।
- सिस्टम इंजीनियर : यह इंजीनियरिंग की ही एक ब्रांच है। लेकिन यहां कोडिंग और कैल्क्युलेशन के लगातार बढ़ रहे उपयोग से मैथ्स एक्सपर्ट्स को प्राथमिकता दी जाती है। इसमें कॅरिअर बनाने के लिए मैथ्स में स्पेशलाइजेशन के साथ ही डेटा एनालिसिस और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स का होना भी जरूरी है। पीसीएम स्ट्रीम से 10+2 के बाद सिस्टम इंजीनियरिंग से बीटेक, बीई किया जा सकता है। आईआईटी खड़गपुर, मद्रास, गुवाहाटी और जादवपुर यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों से इसमें यूजी या पीजी किया जा सकता है। सिस्टम इंजीनियर के लिए मिलिट्री डिफेंस, टेलीकॉम, इलेक्ट्रिक पॉवर सिस्टम और आईटी सिस्टम जैसे सेक्टर्स में जॉब के अवसर रहते हैं।
- इकोनॉमिस्ट्स : इकोनॉमिस्ट्स को मार्केट डेटा, मैथेमैटिकल मॉडल्स और स्टेटिस्टिकल एनालिसिस के जरिए काम करना होता है। यही वजह है कि मैथ्स बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स के लिए इकोनॉमिस्ट भी कॅरिअर का एक बेहतर विकल्प है। मैथेमैटिक्स सब्जेक्ट से बैचलर डिग्री के जरिए आप इकोनॉमिस्ट के रूप में कॅरिअर की शुरुआत कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए मैथ्स के साथ इकोनॉमिक्स का बेिसक नॉलेज भी जरूरी है। मैथेमैटिक्स से ग्रेजुएशन करने के बाद इकोनॉमिक्स बेसिक्स का ऑनलाइन कोर्स किया जा सकता है।
- रोबोटिक इंजीनियरिंग : इंजीनियरिंग की इस ब्रांच में रोबोट्स की डिजाइनिंग, एप्लीकेशन और कंस्ट्रक्शन का काम किया जाता है। मैन्युफैक्चरिंग की प्रक्रिया में तेजी लाने और आउटपुट बढ़ाने में रोबोट्स की अहम भूमिका होती है। रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी में तेजी से हो रहे विस्तार से इस फील्ड में कॅरिअर की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। पीसीएम स्ट्रीम के बाद रोबोटिक्स या मेकाट्रॉनिक्स में बीटेक और एमटेक कर सकते हैं। आईआईटी बॉम्बे, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंग्लुरु , बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद जैसे टॉप संस्थानों से कोर्स किए जा सकते हैं।