सिंदरी से विकास सिंह . अपने पास सिर्फ खेती की जमीन थी...वह भी दूसरे के नाम पर दर्ज कर दी गई है...दौड़-दौड़ कर थक गया...क्या करूं...कुछ समझ में नहीं आता। यह दर्द है बलियापुर के करमाटांड़ में रहने वाले सालखन महतो का। सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में ऐसे 15 हजार से अधिक प्रभावित परिवार हैं। सिंदरी विस क्षेत्र के दो प्रखंंड बलियापुर व गोविंदपुर में हर पांच में तीन परिवार जमीन को लेकर परेशान हैं। 1984-85 में जमीन सर्वे के बाद 1987 में सर्वे सेटलमेंट में कुछ संशोधन हुए। बाद में राज्य सरकार ने डाटाबेस अॉनलाइन किया तो अधिकतर आंकड़ों की गलत इंट्री हो गई।
सीओ अॉफिस जाने पर जवाब मिलता-सर्वे कोर्ट जाइए। गलत प्लॉट, मौजा व रकबा के इस कारण रसीद भी नहीं कट रही। यह मसला सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। मौजूदा विधायक फूलचंद मंडल का भाजपा ने टिकट काटकर जिला 20 सूत्री उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह को मैदान में उतारा है। नाराज फूलचंद अब झामुमो प्रत्याशी हैं। मासस से पूर्व विधायक आनंद महतो फिर मैदान में हैं। इन तीनों के बीच मुख्य टक्कर बताई जा रही है।
और 4 दलों का भी जोर
भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद आजसू ने मंटू महतो काे प्रत्याशी बनाया है। वहीं झाविमो के रमेश राही, बसपा के राम प्रसाद सिंह, आप के डीएन सिंह, सपा के हफीजुद्दीन अंसारी भी मुकाबले में शामिल होने के लिए जोर लगा रहे हैं।
1 जमीन : डाटाबेस अॉनलाइन होने और उसमें गलत इंट्री हो गई है। इस कारण रसीद कट नहीं रही। जमीन के बदले कर्ज लेने का ऋण भी दूसरों पर दिख रहा है।
2 स्वास्थ्य: बलियापुर, गोविंदपुर में एक-एक स्वास्थ्य केंद्र हैं, पर नाकाफी हैं। डॉक्टरों नियमित बैठते नहीं। दवा भी नहीं मिलती। झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी है।
3 पलायन: खाद कारखाना के 2001 में बंद हो जाने से उससे जुड़े अप्रत्यक्ष धंधे भी बंद हो गए। इससे पलायन बढ़ गया। हालांकि, कारखाना फिर खुलने वाला है।
4 सिंचाई : कृषिबहुल इस क्षेत्र में सिंचाई के साधन नहीं हैं। मानसून पर निर्भरता है। कुछ चैकडैम बनाए गए, जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।
3 चुनावों का सक्सेस रेट : 2014 : फूलचंद मंडल (भाजपा) 58528, आनंद महतो (मासस) 51958, मन्नू आलम (झामुमो) 43990, 2009 : फूलचंद मंडल (झाविमो) 40048, आनंद महतो (मासस) 36288, राजकिशोर महतो (भाजपा) 18793, 2005 : राजकिशोर महतो (भाजपा)41361, आनंद महतो (मासस) 34358
वोटर्स बोले...रोजगार के लिए युवा कर रहे पलायन
सर्वे में हमारी जमीन छिन गई। दौड़-दौड़ कर परेशान हैं, पर निदान नहीं निकल रहा। नेता भी चुप है। -अमलेश महतो, करमाटांड़
सिंचाई के साधन नहीं हंै। कोई काम भी नहीं है। घर चलाना दूभर है। किसी को हमारी फिक्र नहीं है। -जीतू डोम, बलियापुर